Mahaar Hindi Text Book Class 7 with binding
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संं
पाण्ग धिशक्षा प्रधिक्या मुें भााषा काा काें रिीय ट्थान हाै। भााषा काी धिशक्षा हाी धिवधिभान्न ट्तरीों पारी धिवद्याधिथ्गयों काे
यू
दृधिष्टका़ोण औरी मुल्यों काा धिवकाासं कारीती हाै। धिकासंी भाी नागररीका संे क्या-क्या अपाेक्षाएँ हा़ोती हाैं, इन्हाें ध्यान मुें यू
रीखते हा�
ए औपािाररीका धिवद्या्लयी धिशक्षा व्यवट्था काे संभाी िरीणों मुें भााषा धिशक्षण काे मुख्य ्ल�य इसं तरीहा संे ु
रीेखां
धिकात धिकाए जा संकाते हाैं— संजनशी्लता, ज्ञान पारी ृ ं
पारीा औरी प्रय़ोग, ट्वतं
त्र अध्येता एवं
आ्ल़ोिनात्मुका
धिितन, रीाष्ट्ीय एव ं ं
संां
ट्काृधितका िेतना, ट्वाट्थ्य एवं
खशहाा्ली। भााषा काी सं ु जनशी्लता संे आशय हाै धिका ृ
धिवद्याधिथ्गयों मुें भााषा काे संं
वाद�मुची ट्वरूपा काे रीिनात्मुका पाक्ष काे प्रधित संमुझ बंने औरी वे धिवधिभान्न वैयधिक्तका,
संामुाधिजका, संां
ट्काृधितका धिनधिमु्गधितयों काे अनरूपा भााषा काा सं ु जनशी्ल प्रय़ोग कारी संकाें । धिवद्याथची अपानी बंात का़ो ृ
अपाने ढं
ग संे काहा संकाें , अपानी ट्वाभााधिवका संजनशी्लता एव ृ ं
काल्पाना का़ो पा़ोधिषत कारी संकाें । ज्ञान-पारीं
पारीा औरी
उसंकाा वत्गमुान संं
दभा्ग मुें प्रय़ोग भााषा काा एका मुहात्वपाण्ग ्ल�य हाै।
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